मध्य प्रदेश की चुनावी बाजी एक फिर से अपने नाम करने के लिए बीजेपी ने सियासी बिसात बिछानी शुरू कर दी है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह 15 दिन में दूसरी बार बुधवार शाम को भोपाल पहुंचे और पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ एक-एक सीट का फीडबैक लिया. चुनावी माहौल को भाजपामय बनाने के लिए अमित शाह ने रोडमैप बना लिया है. साथ ही बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में जा रहे नेताओं को रोकने और अपने रूठे हुए नेताओं को मनाने के लिए भी पार्टी ने रणनीति बनाई है ताकि कांग्रेस के पक्ष में बन रही हवा के रुख को बीजेपी की तरफ मोड़ा जाए.
बीजेपी से कांग्रेस में शामिल हुए नेता
विधानसभा चुनाव की सियासी तपिश के बीच एक के बाद एक बीजेपी नेता कांग्रेस का दामन थाम रहे हैं. पिछले दो महीने में एक दर्जन के करीब बीजेपी नेताओं ने पूरे लव-लश्कर के साथ कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की है. पप्पू उर्फ संदीप बाजपेई, पूर्व विधायक कुंवर ध्रुव प्रताप सिंह, राकेश गुप्ता, बैजनाथ यादव, पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के बेटे व पूर्व विधायक दीपक जोशी, पूर्व विधायक राधे श्याम बघेल और शंकर महतो जैसे दिग्गज नेताओं ने बीजेपी का दामन छोड़कर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली है. इन नेताओं के अलावा कांग्रेस की नजर बीजेपी के रूठे नेताओं पर है, जिन्हें बीजेपी अब किसी भी सूरत में अपने खेमे से जाने नहीं देना चाहती है.
रूठे नेताओं को मनाएगी बीजेपी
बीजेपी अब अपने रूठे हुए नेताओं को मनाने की रणनीति बनाई है, क्योंकि उनकी नारजगी पार्टी के लिए मुश्किलें पैदा कर रही है. बीजेपी के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अमित शाह ने पिछले दौरे में ही यह साफ कर दिया था कि पार्टी से नाराज चल रहे नेताओं को मनाने की कवायद करनी चाहिए. इसके लिए बकायदा फॉर्मूला भी बना है, जिस पर अमल शुरू हो गया है. बीजेपी से असंतुष्ट करीब पांच दर्जन नेता हैं, जिनको मनाने के लिए लिस्ट बनाई गई है. इन नेताओं को मनाने का जिम्मा प्रदेश के बड़े नेताओं को सौंपा गया है. खासकर उन सीटों पर नेताओं को मनाने का है, जहां से ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के विधायक हैं.
ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों के आने से बीजेपी के पुराने और वफादार नेता खुद को पार्टी में हाशिए पर मान रहे हैं. सिंधिया के साथ आए नेताओं का ही दबदबा है और विधानसभा चुनाव में उन्हें ही टिकट मिलने की भी संभावना है, जिसके चलते बीजेपी से उन सीटों पर अभी तक चुनाव लड़ते रहे नेता अपने सियासी भविष्य को लेकर चिंतित है. ऐसे में वो नाराज होकर घर बैठे हुए हैं या फिर नए राजनीतिक ठिकाने की तलाश में हैं. इसीलिए बीजेपी उन्हें मनाने और समझाने के लिए पहल करने जा रही है. इसके लिए पार्टी के ऐसे नेता को जिम्मेदारी सौंपने की रणनीति है, जो राज्य में व्यापक जनाधार रखता हो. बीजेपी नेताओं से लेकर संघ से भी मदद लेने की रणनीति है.
शाह के हाथों में चुनावी कमान
अमित शाह ने मध्य प्रदेश की चुनावी कमान अपने हाथों में ले रखी है, जिसके लिए उन्होंने अब ताबड़तोड़ दौरे शुरू कर दिए हैं. पिछले एक महीने में मध्य प्रदेश के तीन दौरे कर चुके हैं. उन्होंने अपने करीबी नेताओं को चुनावी रणनीति बनाने के लिए जमीन पर भी उतार दिया है. एक-एक विधानसभा सीट की रिपोर्ट तैयार की गई है. अमित शाह ने प्रदेश की सभी 230 सीटों के लिए रोडमैप बनाया है. माना जा रहा है कि इस बार बीजेपी कई नए चेहरों को चुनाव मैदान में उतार सकती है. मौजूदा बीजेपी विधायकों के परफॉर्मेंस की रिपोर्ट कार्ड बनवा रही है और सीट के सर्वे भी कराए जा रहे हैं. ऐसे में क्षेत्र में जिनकी रिपोर्ट अच्छी नहीं है, उनके टिकट बीजेपी काट सकती है. इसीलिए सीट वाइज समीक्षा की जा रही है.
कांग्रेस के गारंटी का काउंटर प्लान
कांग्रेस मध्य प्रदेश की सत्ता में वापसी के लिए पांच गारंटी दे रखी है, जिसमें मुफ्त बिजली, 500 रुपए में गैस सिलेंडर, 100 यूनिट बिजली का बिल माफ और 200 युनिट तक हाफ, महिलाओं को 1500 रुपए पेंशन. किसानों की कर्जमाफी और पुरानी पेंशन बहाल का वादा कर रखा है. कांग्रेस इन गांरटी के दांव से हिमाचल और कर्नाटक की चुनावी जंग फतह कर चुकी है, जिसके चलते मध्य प्रदेश में भी उसके हौसले बुलंद हैं. कांग्रेस के वादों को बीजेपी काउंटर करने के लिए चर्चा कर रही है और उसके जवाब में पीएम मोदी के विकास योजनाओं और शिवराज सरकार के लोकलुभान वादों को जनता के बीच रखने की बात कही है. ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियां लोकलुभावन वादों को लेकर जनता के बीच उतर रही हैं.