बुरहानपुर के राजघाट स्थित सूर्यपुत्री मा ताप्ती के घाट पर पितृ मोक्ष अमावस्या और शनि अमावस्या के दिन श्रद्धालुओं ने अपने पितरों को दीपदान कर आशीर्वाद प्राप्त किया पितृ मोक्ष अमावस्या की यह मान्यता है कि पितरों की तिथि याद न होने पर सर्वपितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध और तर्पण किया जा सकता है। यह मोक्षदायिनी अमावस्या 14 अक्टूबर को है। मान्यता है कि अंतिम दिन सर्वपितृ अमावस्या को पितृ अपने धाम लौट जाते हैं। पितृ परिवार की खुशहाली देखकर प्रसन्न होते हैं।
पितरों को खुश करने और पितृ दोष से राहत पाने के लिए अमावस्या का दिन बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इसलिए इस दिन दान-पुण्य और श्राद्ध कर्म करने से पितरों को खुश किया जा सकता है। इसलिए किसी जरूरत को वस्त्र, फल आदि दान करें। वहीं, सूर्यास्त होने के बाद दक्षिण दिशा में सरसों के तेल में काला तिल डालकर दीपक जलाएं इसी के चलते बुरहानपुर के राजघाट पर सूर्यपुत्र मां ताप्ती के किनारे पर बुरहानपुर के सैकड़ो श्रद्धालुओं ने दीपदान किये