इमरजेंसी के दौरान 1977 में जेल से बाहर आया तो जनता पार्टी से चुनाव लड़ने का मौका मिला। प्रचार के दौरान व जीतने के बाद पता चला कि हाटपीपल्या विधानसभा के कई गांवों में जलसंकट इतना विक्ट है कि वहाँ लोग अपनी बेटी की शादी करना पसंद नहीं कर रहे हैं। इसी बीच सिंचाई विभाग के मुख्य इंजीनियर से बात हुई तो उन्होंने कहा मालवा को रेगिस्तान बनने से रोकने के लिए नर्मदक्ष का जल लाना आवश्यक है। मैंने विधानसभा में इस संबंध में प्रस्ताव रखा तो कई विधायकों ने मजाक उड़ाया। मालवा व नर्मदा का क्षेत्र इंटरबेसिन है, यह काम कठिन था. इस पर अमेरिका व जापान में काम हुआ था, इसके बाद 1978 में एक प्रतिनिधिमंडल के साथ मैं भी जापान गया और कहां को प्रक्रिया देखी। दूसरी आर फिर प्रस्ताव विधानसभा में रखा लेकिन फिर से मजाक उड़ाया गया। आखिरकार मेरे तीसरे कार्यकाल में 13 जुलाई 1990 को प्रस्ताव पारित हुआ, उस दौरान विपक्ष में रहे कांग्रेस नेता अर्जुन सिंह ने कहा था कि हमारा कई विधायक इस प्रस्ताव का विरोध नहीं करेगा। कुछ साल पहले नर्मदा शिप्रा लिंक होने के बाद पूरे देवास जिले में नर्मदा का जल पहुंचाने की प्रक्रिया चल रही है। प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में गठित केंद्रीय जल आधीग ने उस समय कहा था कि आगामी 100 साल में मप्र का
मालवा, उड़ीसा का कालाहांडी व
आंध्र प्रदेश का रायल सीमा वाला इलाका पानी की कमी से रेगिस्तान जैसा बन जाएगा। इंटरबेसिन जल प्रदाय व्यवस्था करके भारत इ अमेरिका, जापान के बाद विश्व में तीसरे स्थान पर आ गया है। नर्मदा ि जल मामले को मैं अपनी उपलब्धि मानता हूं। इस परियोजना को देखकर मन प्रसन्न हो जाता है। जनप्रतिनिधि को इसी तरह के काम प्राथमिकता पर करने या कराना चाहिए, जिससे समाज के बड़े वर्ग ि को राहत मिले। जल उपलब्ध कराने से बड़ा पुण्य का कोई और काम क्या हो सकता है। पीढ़ियों आशीवांद देती हैं।